Indian Polity Editorials
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सीमाओं के परेः सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू एवं कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन के फैसले को उचित ठहराना

Beyond limits जम्मू एवं कश्मीर में परिसीमन से कहीं ज़्यादा वास्तविक मुद्दे हैं राज्य का दर्जा और खास हैसियत कानूनी और राजनीतिक औचित्य के बीच खासा फासला हो सकता है। जम्मू एवं कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का गठन करने के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इसके बाद परिसीमन को लेकर हुई कवायदें बिला शक…

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बर्फ और अंगारे: लद्दाख के मुद्दे

Fire and ice: On Ladakh लद्दाख और वहां के लोगों की ओर सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए साल 2019 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र-शासित प्रदेश (यूटी) बनाए जाने के बाद से, मनोरम नजारे वाला लद्दाख उपेक्षित है। स्थानीय बौद्ध लोगों की लंबे समय की मांग के मुताबिक यूटी बनाए जाने के तत्काल बाद चंद दिनों का जश्न…

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अंकुश ठीक है, उल्लंघन नहीं: न्यायपालिका पर सरकार का हमला 

Check, do not cross सरकार को न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए; न्यायपालिका पर हमला नहीं करना चाहिए संवैधानिक अदालतों में जजों की नियुक्ति में सरकार जिस तरीके से ज्यादा अधिकार की मांग कर रही है, वह अशिष्ट और अप्रिय है। ताजा हमला केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की तरफ से हुआ है, जिन्होंने भारत के…

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NCLT द्वारा जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को जेट एयरवेज के स्वामित्व का हस्तांतरण

Transfer of Jet Airways IBC मार्ग के माध्यम से जेट एयरवेज का अधिग्रहण करने के लिए बोली जीतने वाले जालान-कालरॉक कंसोर्टियम को एक बड़ी राहत मिली ख़बरों में: नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने शुक्रवार को पूर्व में स्वीकृत संकल्प योजना के अनुपालन में बंद पड़ी एयरलाइन के स्वामित्व को कंसोर्टियम को हस्तांतरित करने का आदेश दिया।कंसोर्टियम ने एक बयान…

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पाबंदी भरा वर्चस्व: उपराष्ट्रपति की टिप्पणी और बुनियादी ढांचे का सिद्धांत

Bound Supremacy बुनियादी ढांचे के सिद्धांत के जरिए संसदीय संप्रभुता को कतई नष्ट नहीं कर सकते हैं यह सर्वविदित है कि संसदीय विधि निर्माण भारत के संविधान के तहत दो किस्म की पाबंदियों के अधीन है। पहली पाबंदी न्यायिक समीक्षा या किसी मौलिक अधिकार के संभावित उल्लंघन की स्थिति में कानून की समीक्षा करने की संवैधानिक अदालतों की शक्ति है।…

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