Economics Editorials in Hindi

Economics Editorials in Hindi
Economics is the study of scarcity and its implications for the use of resources, production of goods and services, growth of production and welfare over time, and a great variety of other complex issues of vital concern to society.
The economy of any country is the backbone of any nation that ensures its citizens’ prosperity and well-being. It is also the leading factor behind employment generation, infrastructure development, raising the citizens’ per-capita income, and many more factors.
This section features Economics Editorials in the Hindi language exclusively from the Indian economy because these are only relevant to various Competitive Exams like UPSC-IAS, SSC, and other State Civil Services Examinations.
The featured articles or editorials on Economics Editorials in Hindi page are taken from various prestigious resources like The Hindu, Indian Express, The Economic Times Hindi, Times of India, etc. These are translated with a high level of accuracy and are featured in Economics Editorials in Hindi section of the Editorials in Hindi website.
Apart from the aspiring students, Economists, News Readers, and Content Writers should also visit this page regularly to stay updated with current trends in the Indian Economy.
Economics Editorials in Hindi

Latest Editorials on Economics in Hindi

Economics Editorial
चिंताजनक बढ़ोतरी: खुदरा मुद्रास्फीति का मामला
Disturbing dilation बेलगाम मुद्रास्फीति का जोखिम घरेलू उपभोग को नुकसान पहुंचा रहा हैभारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के इस बयान के ठीक पांच दिन बाद कि मुद्रास्फीति ने ‘नरमी के संकेत दिखाए हैं और सबसे बुरा दौर बीत चुका है’, सोमवार को जारी किए गए जनवरी माह के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुमानों ने कीमतों...
Economics Editorial
उत्साह बरकरार: औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान
Not losing steam पूंजीगत सामानों के आंकड़े निजी क्षेत्र में निवेश के मोर्चे पर अनिश्चितता जारी रहने की ओर इशारा करते हैंराष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान दिसंबर माह में समग्र औद्योगिक उत्पादन के साल–दर–साल के आधार पर नवंबर की 7.3 फीसदी की गति से लुढ़ककर 4.3 फीसदी तक पहुंच जाने का संकेत...
Economics Editorial
चतुराई भरा कदम: आरबीआई का फिर से नीति दर बढ़ाने का फैसला
Sage stance दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए मूल्य स्थिरता बेहद जरूरी हैभले ही यह बढ़ोतरी बहुत मामूली हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक का अपनी बेंचमार्क नीति दर को फिर से बढ़ाने का फैसला, टिकाऊ तौर पर मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ाया गया एक स्वागत योग्य कदम है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मुख्य फैसला, खुदरा...
Environmental Issues
हरियाली की ओर कदम: बजट 2023 और भारत का शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के प्रति समर्पण
Going green नया बजट भारत को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से उबरने में मदद कर सकता हैवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ताजा बजट 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देने के लिहाज से उल्लेखनीय है। जनवरी में दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में पेश किए गए एक लेख के अनुसार, भारत...
Economics Editorial
पेटेंट सौदेबाजी को लागू करना
Enforcing the Patent Bargain आईपीआर संवेदनशीलता सार्वजनिक स्वास्थ्य दायित्वों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए प्रसंग:2016 में, वाणिज्य मंत्रालय के तहत तत्कालीन औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (जिसे अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के रूप में जाना जाता है) ने राष्ट्रीय आईपीआर नीति जारी...
Economics Editorial
बड़ी उम्मीदें: निर्मला सीतारमण का चुनाव-पूर्व बजट
Great expectations बजट 2023-24 में राजकोषीय विवेक और चुनावी संकेतों के बीच संतुलन होना चाहिएअगले सप्ताह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपना पांचवां और इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। यों तो अगले साल के अंतरिम बजट में भी कुछ चुनावी प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं, लेकिन भारतीय...
Economics Editorial
व्यापारिक हवाएँ: भारतीय निर्यात गिरने पर
Trade winds लड़खड़ाती पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं का सबसे बुरा असर भारतीय निर्यात पर अभी पूरी तरह से पड़ना बाकी है दिसंबर 2022 में भारत के माल निर्यात के लिए दो वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसमें $34.5 बिलियन के उत्पादों का निर्यात हुआ – एक साल पहले की तुलना में 12.2% कम। तीन महीने में यह दूसरी बार था जब शिपमेंट...
Economics Editorial
आकस्मिक रूझान: थोक मुद्रास्फीति का मामला
A fortuitous trend मुद्रास्फीति में नरमी को जारी रखने के लिए इसे और अधिक व्यापक होना होगावर्ष 2022 का आखिरी महीना सालभर छाए रहे उच्च मुद्रास्फीति से कुछ राहत देता हुआ दिखाई दे रहा है। दिसंबर माह के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली औसत मूल्य वृद्धि गिरकर नवंबर 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर...
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चिंताजनक बढ़ोतरी: खुदरा मुद्रास्फीति का मामला
Disturbing dilation बेलगाम मुद्रास्फीति का जोखिम घरेलू उपभोग को नुकसान पहुंचा रहा हैभारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के इस बयान के ठीक पांच दिन बाद कि मुद्रास्फीति ने ‘नरमी के संकेत दिखाए हैं और सबसे बुरा दौर बीत चुका है’, सोमवार को जारी किए गए जनवरी माह के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुमानों ने कीमतों...
उत्साह बरकरार: औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान
Not losing steam पूंजीगत सामानों के आंकड़े निजी क्षेत्र में निवेश के मोर्चे पर अनिश्चितता जारी रहने की ओर इशारा करते हैंराष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान दिसंबर माह में समग्र औद्योगिक उत्पादन के साल–दर–साल के आधार पर नवंबर की 7.3 फीसदी की गति से लुढ़ककर 4.3 फीसदी तक पहुंच जाने का संकेत...
चतुराई भरा कदम: आरबीआई का फिर से नीति दर बढ़ाने का फैसला
Sage stance दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए मूल्य स्थिरता बेहद जरूरी हैभले ही यह बढ़ोतरी बहुत मामूली हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक का अपनी बेंचमार्क नीति दर को फिर से बढ़ाने का फैसला, टिकाऊ तौर पर मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ाया गया एक स्वागत योग्य कदम है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मुख्य फैसला, खुदरा...
हरियाली की ओर कदम: बजट 2023 और भारत का शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के प्रति समर्पण
Going green नया बजट भारत को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से उबरने में मदद कर सकता हैवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ताजा बजट 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देने के लिहाज से उल्लेखनीय है। जनवरी में दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में पेश किए गए एक लेख के अनुसार, भारत...
पेटेंट सौदेबाजी को लागू करना
Enforcing the Patent Bargain आईपीआर संवेदनशीलता सार्वजनिक स्वास्थ्य दायित्वों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए प्रसंग:2016 में, वाणिज्य मंत्रालय के तहत तत्कालीन औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (जिसे अब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के रूप में जाना जाता है) ने राष्ट्रीय आईपीआर नीति जारी...
बड़ी उम्मीदें: निर्मला सीतारमण का चुनाव-पूर्व बजट
Great expectations बजट 2023-24 में राजकोषीय विवेक और चुनावी संकेतों के बीच संतुलन होना चाहिएअगले सप्ताह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपना पांचवां और इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। यों तो अगले साल के अंतरिम बजट में भी कुछ चुनावी प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं, लेकिन भारतीय...
व्यापारिक हवाएँ: भारतीय निर्यात गिरने पर
Trade winds लड़खड़ाती पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं का सबसे बुरा असर भारतीय निर्यात पर अभी पूरी तरह से पड़ना बाकी है दिसंबर 2022 में भारत के माल निर्यात के लिए दो वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसमें $34.5 बिलियन के उत्पादों का निर्यात हुआ – एक साल पहले की तुलना में 12.2% कम। तीन महीने में यह दूसरी बार था जब शिपमेंट...
आकस्मिक रूझान: थोक मुद्रास्फीति का मामला
A fortuitous trend मुद्रास्फीति में नरमी को जारी रखने के लिए इसे और अधिक व्यापक होना होगावर्ष 2022 का आखिरी महीना सालभर छाए रहे उच्च मुद्रास्फीति से कुछ राहत देता हुआ दिखाई दे रहा है। दिसंबर माह के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली औसत मूल्य वृद्धि गिरकर नवंबर 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर...
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