Mou on Plastic Pollution

Current Affairs:

  • प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे से निपटने के लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर / National Cadet Corps (NCC) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम /United Nations Environment Programme (UNEP) ने 3 साल के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • इसका उद्देश्य ‘पुनीत सागर अभियान / Puneet Sagar Abhiyan‘ और ‘टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज प्रोग्राम / Tide Turners Plastic Challenge programme‘ के माध्यम से स्वच्छ जल निकायों के सार्वभौमिक लक्ष्य को प्राप्त करना है।

Memorandum of understanding (MoU) / समझौता ज्ञापन का उद्देश्य:

  • सूचना साझा करने और प्रशिक्षण पहल के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता क्षमता निर्माण और जागरूकता पहल में संलग्न होना।
  • स्वच्छ जल निकायों को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को शामिल करने की दिशा में प्रयास करना और तालमेल बिठाना।

पुनीत सागर अभियान:

  • यह प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से पटे समुद्री तटों को साफ करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रमुख अभियान है, जिसे एनसीसी द्वारा दिसंबर 2021 में शुरू किया गया था।
  • प्रारंभ में यह एक महीने के लिए था, लेकिन बाद में इसे नदियों और अन्य जल निकायों को कवर करने के लिए पूरे भारत में पूरे वर्ष के अभियान के रूप में विस्तारित किया गया।
  • इसकी शुरुआत के बाद से, लगभग 1,900 स्थानों से 100 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया है।

टाइड टर्नर चैलेंज प्रोग्राम:

  • इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के स्वच्छ समुद्र अभियान के हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • यह यूके, नॉर्वे और वैश्विक पर्यावरण सुविधा / Global Environment Facility (GEF) द्वारा समर्थित और वित्त पोषित है।
  • इसका उद्देश्य युवाओं को पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने में एक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

प्लास्टिक चिंता का एक विषय क्यों है?

  • वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन 2000 से 2019 तक दोगुना होकर 460 मिलियन टन तक पहुंच गया।
  • भारत सालाना लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है और पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है।
  • लगभग 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा प्रतिवर्ष महासागरों में बह जाता है। यह 2040 तक तीन गुना हो सकता है।
    • इसने समुद्र में घुसपैठ कर ली है और अब यह सबसे छोटे प्लवक से लेकर सबसे बड़ी व्हेल तक में पाई जाती है।
  • प्लास्टिक के संपर्क में आने से मानव स्वास्थ्य को नुकसान होता है, और प्रजनन क्षमता, हार्मोनल, चयापचय और तंत्रिका संबंधी गतिविधि को संभावित रूप से प्रभावित करता है।
  • यह वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 3.4% हिस्सा है।

प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए भारत द्वारा अब तक उठाया गये कदम:

  • भारत MARPOL (International Convention on Prevention of Marine Pollution /समुद्री प्रदूषण की रोकथाम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन) का एक हस्ताक्षरकर्ता है।
  • 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने का भारत का संकल्प है। पर्यावरण मंत्रालय ने जुलाई, 2022 से सभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है।
  • दिसंबर 2022 तक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई मौजूदा 75 माइक्रोन से बढ़ाकर 120 माइक्रोन करना।
  • REPLAN (Reducing PLAstic in Nature) नामक परियोजना के तहत, KVIC (खादी और ग्रामोद्योग आयोग / Khadi and Village Industries Commission) ने प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें प्लास्टिक कचरे को डी-स्ट्रक्चर्ड, डिग्रेडेड, पतला किया जाता है और पेपर पल्प के साथ प्रयोग किया जाता है, इस प्रकार प्रकृति से प्लास्टिक कचरे को कम करता है।
  • इंडिया प्लास्टिक चैलेंज – हैकाथॉन 2021 / India Plastic Challenge – Hackathon 2021: एक अनूठी प्रतियोगिता है जिसमें स्टार्ट-अप और छात्रों को प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए अभिनव समाधान विकसित करने का आह्वान किया गया है।

आगे बढ़ने का रास्ता:

  • हमें संयुक्त राष्ट्र के अनिवार्य सतत विकास लक्ष्य / Sustainable Development Goal (SDG) 12 के साथ संरेखण में प्लास्टिक उत्पादन को स्थायी स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है।
  • हमें राष्ट्रीय संदर्भों के अनुरूप पुन: उपयोग, रिफिल और पारंपरिक पैकेजिंग प्रणालियों के उन्नयन को भी बढ़ावा देना चाहिए।

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