हरित वादा: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का संदर्भ

A green promise

छोटे उद्यम हरित अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हो सकते हैं

कुछ अनिवार्य खर्चों की वजह से वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन के कुल उत्पादन में हरित हाइड्रोजन का हिस्सा फिलहाल एक फीसदी से भी कम है और भारत का लक्ष्य ऐसे हाइड्रोजन का एक वैश्विक औद्योगिक केंद्र एवं निर्यातक बनना है। भले ही यह एक नेक महत्वाकांक्षा है, लेकिन एक उच्च-प्रौद्योगिकी वाला ‘मैन्यूफैक्चरिंग हब’ बनने का भारत का “ट्रैक रिकॉर्ड” 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल करने को लेकर संदेह पैदा करता है। अपनी तमाम नीतियों के बावजूद, भारत सौर सेल, अर्धचालक या पवन ऊर्जा से संबंधित घटकों का शुद्ध निर्यातक बनने में कामयाब नहीं हो पाया है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘मैन्यूफैक्चरिंग’ से संबंधित भारत का अंतर्निहित आधार कमजोर बना हुआ है और वह वैश्विक पूंजी को कुशलतापूर्वक आकर्षित और उसका उपयोग करने में नाकाम है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए, भारत को अपने छोटे “मैन्यूफैक्चरिंग” और संबद्ध उद्यमों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा जो बड़े उद्योगों के बजाय किसी भी हरित अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार साबित होंगे।

Source: The Hindu (06-01-2023)