No longer bizarre
कभी अभौतिक माने जाने वाले अवधारणा को स्थापित करने के लिए दिया गया नोबेल पुरस्कार
क्वांटम क्रांति ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के एक नए चरण की शुरुआत की। इस चरण में ट्रांजिस्टर की आमद ने जहां इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र को हमेशा के लिए बदल दिया, वहीं लेजर की खोज ने संचार से लेकर चिकित्सा तक के क्षेत्रों को बुनियादी आधार मुहैया कराया। भौतिकी के लिए दिया जाना वाला इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर है।
क्वांटम गणना, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम नेटवर्क के क्षेत्र में अनुप्रयोगों की कई संभावनाओं की वजह से इसे एक उभरता हुआ क्रांति करार दिया गया है। एलेन एस्पेक्ट (फ्रांस), जॉन एफ. क्लॉजर (अमेरिका) और एंटोन जिलिंगर (ऑस्ट्रिया) को ‘बेल की असमानताओं के उल्लंघन की स्थापना और क्वांटम सूचना विज्ञान को नई दिशा देते हुए, उलझे हुए फोटॉनों पर’ अनुसंधान कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है।
क्वांटम उलझाव उनके अनुसंधान की साझी अवधारणा है। यह क्वांटम यांत्रिकी (मैकेनिक्स) का एक अजूबापन है जो दो या दो से अधिक कणों को इस तरह से एक ‘उलझी हुई अवस्था’ में मौजूद रहने की अनुमति देता है कि एक कण के साथ जो होता है वह दूसरों को तुरंत प्रभावित करता है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर स्थित क्यों न हों।
इसे ही आइंस्टीन ने ‘दूरी पर होने वाली रहस्यमयी हरकत’ कहा था और इसने उन्हें बोरिस पोडॉल्स्की और नाथन रोसेन के साथ मिलकर इस विचार पर प्रयोग (1935) करने के लिए प्रेरित किया था। यह श्रोडिंगर की बिल्ली जैसा मामला है, जो एक ही पल में जीवित और मृत हो सकती है। क्वांटम यांत्रिकी की नींव को चुनौती देने वाला विचार यह था कि कुछ ऐसे ‘छिपे हुए चर’ हो सकते हैं जो अंतरिक्ष में दूरी पर स्थित कणों की दशा तय करते हैं, और क्वांटम यांत्रिकी में उनका उलझ जाना कोई विचित्र बात नहीं है।
वर्ष 1964 में, जॉन स्टीवर्ट बेल ने इस बात की गणितीय तरीके से जांच की कि क्वांटम यांत्रिकी स्थानीय छिपे हुए चर सिद्धांत के साथ संगत है या नहीं। आगे थोडा और सुधार के बाद, इन असमानताओं को बेल की असमानताओं का नाम दिया गया। जॉन क्लॉजर और एलेन एस्पेक्ट को प्रायोगिक तरीके से बेल की असमानताओं का उल्लंघन दिखाने के लिए सम्मानित किया गया है।
इसका आशय यह है कि उलझाव दरअसल क्वांटम यांत्रिकी के साथ आंतरिक रूप से निहित है, और उलझे हुए कणों के गुणों के बीच संबंध को निर्धारित करने वाले कोई स्थानीय छिपे हुए चर नहीं हैं। इससे इस क्षेत्र में और आगे प्रगति हुई। एंटोन जिलिंगर और उनकी टीम ने ‘क्वांटम टेलीपोर्टेशन’ स्थापित करने की चुनौती स्वीकार की। भले ही यह उक्ति जादुई लगती है, लेकिन भौतिक कणों को टेलीपोर्ट नहीं किया जाता है। हालांकि, भौतिक कणों की क्वांटम अवस्थाओं के बारे में जानकारी काफी आगे बढ़ गई है और यह संचार एवं क्रिप्टोग्राफी के नए स्वरूपों को मदद कर रही है।
आज, फोटॉनों के बीच उलझी हुई क्वांटम अवस्थाओं का प्रदर्शन तब किया गया है, जब फोटॉन ने ऑप्टिकल फाइबर के जरिए दसियों किलोमीटर की दूरी तय की है। साथ ही, पृथ्वी पर मौजूद फोटॉन और उपग्रह पर मौजूद फोटॉनों के बीच उलझी हुई अवस्थाओं का प्रदर्शन किया गया है। इस बात की काफी संभावना है कि शोधकर्ता कणों के इस गुण का उपयोग करने के तरीके खोज लेंगे, जोकि बेहद आकर्षक और आशाजनक भी है।