Rural Health Statistics Report 2021-22

Current Affairs: Rural Health Statistics Report 2021-22

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट / Rural Health Statistics Report 2021-22 प्रकाशित की है।

Rural Health Statistics (RHS) Report / ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के बारे में

  • यह वर्ष 1992 से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का वार्षिक प्रकाशन है।
  • यह हर साल 31 मार्च तक जनशक्ति सहित स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर डेटा प्रदान करता है।
  • यह प्रकाशन, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली / Health Management Information System (HMIS) पोर्टल पर अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित है और संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा सत्यापित किए जाने के बाद ही प्रकाशित किया जाता है।
    • HMIS पोर्टल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदर्शन की स्थिति पर आवधिक रिपोर्ट प्रदान करता है।
  • यह देश के ग्रामीण, शहरी और आदिवासी क्षेत्रों में मौजूदा हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन में अंतराल की पहचान करने में एक दृष्टि दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
  • यह नागरिकों के लिए सूचना के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में भी कार्य करता है।

2021-22 रिपोर्ट की मुख्य झलकियाँ

  • ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र –
    • मानदंडों के अनुसार, प्रत्येक उप केंद्र / sub center (SC) को 3,000-5,000 की आबादी को, प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र / Primary Health Centers (PHC) को 20,000-30,000 की आबादी को और प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र / Community Health Centers (CHC) को 80,000-1,20,000 की आबादी की देखभाल करनी है।
    • 31 मार्च, 2022 तक RHS के अनुमानों से पता चला है कि प्रत्येक उप केंद्र ने औसतन 5691 लोग, प्रत्येक PHC में 36049 लोग और प्रत्येक CHS में 164027 लोगों की सेवा की है।
  • शहरी स्वास्थ्य सांख्यिकी –
    • U-PHCs (शहरी PHCs) में 18.8% डॉक्टर, 16.8% फार्मासिस्ट, 16.8% लैब टेक्निशियन और 19.1% स्टाफ नर्स के पद खाली हैं
    • U-PHC द्वारा कवर की गई जनसंख्या 50,000 से 75,000 के बीच हो सकती है।
    • शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (U-CHC) को प्रत्येक 4-5 U-PHC के लिए रेफरल सुविधा के रूप में स्थापित किया गया है। U-CHC 2,50,000 से 5 लाख की आबादी को सुविधा देता है।
  • एलोपैथी डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि –
    • 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन / National Rural Health Mission (NRHM) की शुरुआत के बाद से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एलोपैथी डॉक्टरों की संख्या में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है।
    • PHC में एलोपैथिक डॉक्टर 2005 में 20,308 से बढ़कर 2022 में 30,640 हो गए हैं।
  • विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी-
    • भारत CHC में आवश्यक विशेषज्ञों के लगभग 80% की कमी के साथ, विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है।
      • CHC 30- बिस्तर वाली ब्लॉक-स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं हैं जो आदर्श रूप से सर्जरी, स्त्री रोग, बाल रोग और सामान्य चिकित्सा से संबंधित बुनियादी देखभाल प्रदान करने वाली हैं।
      • पूरे भारत में 6,064 CHC हैं और इनमें से अधिकांश केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता को पूरा करने में स्वास्थ्य मंत्रालय असफल रहा है।
    • रिपोर्ट बताती है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है, जिनमें सर्जन (83.2%), प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ (74.2%), चिकित्सक (79.1%) और बाल रोग विशेषज्ञ (81.6%) शामिल हैं।
    • विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा, महिला स्वास्थ्य कर्मियों और सहायक नर्सिंग दाइयों की भी कमी है, जिनमें से 14.4% पद PHCs और SCs में खाली पड़े हैं।

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