सीमाओं के पार सुरक्षित: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस-‘पे-नाऊ’ लिंक का संदर्भ

Safe across borders

भारत को अपने सीमा-पार डिजिटल भुगतान लिंकेज को और आगे बढ़ाना चाहिए

सिंगापुर में पढ़ने या रहने वाले किसी रिश्तेदार को धन हस्तांतरित करना या इस दक्षिण पूर्व एशियाई शहरी-देश में काम करने वाले परिवार के किसी सदस्य द्वारा भेजे गए धन को प्राप्त करना बेहद आसान हो गया है। बीते 21 फरवरी को, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक रवि मेनन ने क्रमशः भारत और सिंगापुर में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और अपने फोन में ‘पे-नाऊ’ मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके एक-दूसरे को सांकेतिक रूप से फौरन सीमा-पार धन भेजा।

इस लेन-देन ने दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और मलक्का जलडमरूमध्य में इसके तटीय पड़ोसी, जोकि एक बड़े तादाद वाले प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ सिंगापुर के विनिर्माण, समुद्री शिपयार्ड और सेवा क्षेत्रों में हजारों की संख्या में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों की शरणस्थली है, के बीच वास्तविक समय में व्यक्ति-से-व्यक्ति के बीच धन हस्तांतरण के वास्ते एक सीमा-पार लिंक की शुरुआत को रेखांकित किया। यह लिंक अब अपने ‘रिश्तेदार के गुजर–बसर’ के लिए या ‘उपहार’ के रूप में सिंगापुर डॉलर (एसजीडी) या भारतीय रुपये में धन भेजने के इच्छुक लोगों को भारत की तरफ यूपीआई और सिंगापुर की तरफ ‘पे-नाऊ’ ऐप का इस्तेमाल करके निर्बाध तरीके से राशि हस्तांतरित करने में सक्षम बनाता है।

शुरुआत में जहां भारत में तीन सरकारी बैंक, दो निजी बैंक और सिंगापुर के डीबीएस बैंक की भारतीय इकाई सहित छह बैंक अपने खाताधारकों को इनबाउंड प्रेषण की सुविधा प्रदान करेंगे, वहीं एक निजी ऋणदाता और तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने भारतीय ग्राहकों को लिंक का इस्तेमाल करके पैसे भेजने में समर्थ बनायेंगे। सिंगापुर में, डीबीएस बैंक और गैर-बैंक ऋणदाता लिक्विड ग्रुप के ग्राहक इस हस्तांतरण सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

दैनिक लेनदेन की सीमा 60,000 रुपये या लगभग 1,000 एसजीडी निर्धारित किए जाने के मद्देनजर भले ही यह एक छोटी सी शुरुआत है, लेकिन यह लिंक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह लोगों को एक बैंक की शाखा या वायर ट्रांसफर सुविधा वाले केन्द्र में जाने की परेशानी से गुजरे या उच्च लागत वाले और जोखिम भरे ‘हवाला‘ चैनलों पर निर्भर रहे बिना अपने प्रियजनों को जल्दी और सुरक्षित तरीके से पैसे भेजने में सक्षम बनाता है।

यह संबंध वास्तविक समय में सीमा-पार धन हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के एक व्यापक क्षेत्रीय प्रयास का हिस्सा भी है, जो आम लोगों और व्यापारियों के लिए परिचालन लागत को घटाने के साथ- साथ ही बाहरी निपटान मुद्रा, जोकि अब तक मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर रहा है, पर निर्भरता को कम करता है।

सिंगापुर, जिसने 2021 में थाईलैंड के साथ इसी किस्म का भुगतान लिंक स्थापित किया था, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस सहित दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के बीच एक व्यापक पांच सदस्यीय पहल का हिस्सेदार है, जिसका मकसद उनके घरेलू डिजिटल भुगतान प्रणालियों को आपस में जोड़ना है।

भारत भी अपने सीमा-पार डिजिटल भुगतान संबंधों का प्रसार करने तथा इस शहरी-देश के दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ जुड़ाव वाले अन्य संगठनों तक साझेदारी का विस्तार करने हेतु सिंगापुर में हासिल हुई सुविधा का लाभ उठाकर आगे बढ़ सकता है। क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को निश्चित रूप से बढ़ावा देने के अलावा, इस किस्म के नेटवर्क से भारत को ‘इनबाउंड’ प्रेषण के प्रवाह को औपचारिक रूप देने में मदद मिलेगी।

Source: The Hindu (24-02-2023)