कर के मोर्चे पर बदलाव: जीएसटी राजस्व के रुझान 

Tax transitions

जीएसटी राजस्व के रुझान अधिक अनुपालन, आयात की मांग में नरमी का संकेत दे रहे हैं

फरवरी में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कई नजरिए से उल्लेखनीय है। सबसे पहले, वे इस बात को इंगित करते हैं कि लगातार 12वें महीने जीएसटी राजस्व 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है और जीएसटी प्रणाली की शुरुआत के बाद से यह किसी एक महीने में सबसे ज्यादा संग्रह वाला चौथा सबसे बड़ा महीना है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों में औसत मासिक जीएसटी संग्रह अब 1,49,776 करोड़ रुपये का है, जोकि 2021-22 के 1.23 लाख करोड़ रुपये के औसत मासिक संग्रह से थोड़ा ज्यादा है। दिलचस्प बात यह है कि इस साल अब तक का औसत मासिक राजस्व उन आठ महीनों में हुए वास्तविक संग्रह से अधिक है, लिहाजा बाकी तीन महीनों में संग्रह औसत से ऊपर चला गया। ये महीने हैं अप्रैल (1.67 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के अधिकतम मासिक राजस्व के साथ) और अक्टूबर एवं जनवरी 2023 (जिनके संग्रह को अपग्रेड करके 1.57 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किया गया था)।

इन महीनों के संग्रह में हुई बढ़ोतरी का श्रेय तिमाही के अंत और साल के अंत में दाखिल किए जाने वाले रिटर्न को दिया जा सकता है, जिनके कर बाद वाली तिमाही के पहले महीने में एकत्र किए जाते हैं। यह जनवरी में सरकार द्वारा किए गए इस दावे को पुष्ट करता है कि पिछले साल में शुरू किए गए नीतिगत बदलावों ने ज्यादा तादाद में करदाताओं द्वारा रिटर्न दाखिल किए जाने के साथ अनुपालन के मोर्चे पर सुधार किया है, जोकि निम्न कर आधार वाले एक देश के लिए एक सुखद सांस्कृतिक सगुन है।

बहरहाल, जीएसटी राजस्व के संयोजन में एक काबिलेगौर बदलाव जारी है। इस वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीनों में वस्तुओं के आयात से होने वाले राजस्व में 29 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि घरेलू लेनदेन और सेवाओं के आयात से करों में 22 फीसदी का इजाफा हुआ। भले ही जनवरी माह के लिए यह ब्यौरा उपलब्ध नहीं है, लेकिन फरवरी ऐसा महीना रहा जब तीन महीनों में दूसरी बार घरेलू राजस्व वस्तुओं के आयात से प्राप्त होने वाले करों से ज्यादा रहा।

घरेलू राजस्व में जहां 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं वस्तुओं के आयात से प्राप्त होने वाले करों में सिर्फ छह फीसदी की ही वृद्धि हुई। यह जहां जनवरी में आयात में हुई तेज गिरावट के अनुरूप है, वहीं विवेकाधीन घरेलू मांग के संभावित रूप से ठंडा होने का भी संकेत देता है जो जिन्सों की ऊंची कीमतों के साथ-साथ आयात के खर्चे को भी बढ़ा रहा था। विभिन्न राज्यों के बीच स्पष्ट भिन्नता के साथ घरेलू राजस्व के रुझान असमान हैं, जोकि चिंता का एक और सबब है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में कर उछाल में कमी आने के साथ जीएसटी राजस्व में होने वाली बढ़ोतरी इस साल लगभग 22 फीसदी से घटकर 12 फीसदी रह जाने का अनुमान लगाया गया है। अपनी कमर कसकर मंदी के लिए तैयार हो रही दुनिया के बीच, यह एक व्यावहारिक दृष्टिकोण का परिचय देता है। लेकिन, वित्त मंत्रालय द्वारा “28 दिन” वाले महीने में आम तौर पर राजस्व में कमी देखी जाती है का तर्क देकर फरवरी के जीएसटी के संग्रह को बेहतर बताने का प्रयास कपटपूर्ण और अनावश्यक है, क्योंकि ये राजस्व जनवरी के 31 दिनों में किए गए लेनदेन संबंधित हैं। इस तर्क से, तो मार्च में कर प्रवाह में गिरावट देखी जानी चाहिए क्योंकि फरवरी में कामकाज के दिन अपेक्षाकृत कम हैं ।

Source: The Hindu (06-03-2023)