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Vikram-S

Science and Technology Current Affairs

Current Affairs: Vikram-S

भारत के पहले निजी तौर पर विकसित प्रक्षेपण यान Vikram-S ने इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से अपनी पहली उड़ान भरी।

Vikram-S के बारे में

  • यह भारत का पहला निजी तौर पर विकसित सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है।
    • उपकक्षीय उड़ान कक्षीय वेग की तुलना में धीमी गति से यात्रा करती है, जिसका अर्थ है कि यह बाहरी अंतरिक्ष तक पहुँचने के लिए पर्याप्त तेज़ है लेकिन पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में रहने के लिए पर्याप्त तेज़ नहीं है।
  • इसे इसरो और IN-SPACe के समर्थन से हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया जा रहा है।
    • स्काईरूट ने मिशन को ‘प्रारंभ / Prarambh’ नाम दिया है क्योंकि यह कंपनी का पहला मिशन है।
  • प्रक्षेपण यान – Kalam-80 में प्रयुक्त इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
  • इसमें 3 पेलोड होंगे, जिसमें 2.5 किलोग्राम का पेलोड भी शामिल है, जिसे स्पेसकिड्ज़इंडिया / SpaceKidzIndia के तत्वावधान में भारत सहित कई देशों के छात्रों द्वारा विकसित किया गया है।

Vikram रॉकेट के अन्य संस्करण

स्काईरूट विक्रम रॉकेट के 3 वेरिएंट विकसित कर रहा है जो विभिन्न ठोस और क्रायोजेनिक ईंधन का उपयोग करेगा और कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके उनकी मूल संरचना का निर्माण करेगा। वाहन में स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इस्तेमाल होने वाले थ्रस्टर्स को 3डी प्रिंटेड किया गया है।

  • विक्रम-I पृथ्वी की निचली कक्षा / Low Earth Orbit (LEO) में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है।
  • विक्रम-द्वितीय 595 किलोग्राम कार्गो के साथ 500 किमी कम झुकाव वाली कक्षा / Low Inclination Orbit (LIO), 400 किलोग्राम से 500 किमी SSPO (सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट) तक उठाने के लिए सुसज्जित है।
  • विक्रम-III 815 किग्रा से 500 किमी LIO के साथ लॉन्च हो सकता है व्  560 किग्रा से 500 किमी SSPO में पेलोड ले जा सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में निजीकरण का महत्व

  • निजी उद्योग इसरो को विज्ञान, अनुसंधान एवं विकास, अंतरग्रहीय अन्वेषण और रणनीतिक प्रक्षेपणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुक्त कर देगा।
  • निजी कंपनियों में त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया होती है जबकि सार्वजनिक उद्यम में एक ही प्रक्रिया को कई चरणों से गुजरना पड़ता है।
  • यह दुनिया भर में लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है।
  • निजी अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में वृद्धि उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है और निरंतर सुधार और प्रगति को प्रोत्साहित करती है।
  • निजी क्षेत्र अक्सर सरकार द्वारा विकसित तकनीकों को ऐसी तकनीकों और उत्पादों में परिवर्तित करता है जो आम जनता के लिए आकर्षक या सस्ती होती हैं।
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