NCERT Study

NCERT अध्ययन:

  • एक अध्ययन के अनुसार, कक्षा III के 11% भारतीय बच्चों के पास वैश्विक बेंचमार्क प्रवीणता स्तर (global benchmark proficiency level) के अनुरूप बुनियादी गणित कौशल की कमी है।
  • नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की ‘Benchmarking for oral reading fluency with reading comprehension and numeracy 2022’ राष्ट्रीय रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ।

NCERT द्वारा किया गया अध्ययन:

  • हाल ही में शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी द्वारा संयुक्त रूप से एक बड़े पैमाने पर आधारभूत शिक्षण अध्ययन (foundational learning study – FLS) किया गया था।
    • आधारभूत शिक्षा, जो कि कक्षा III द्वारा अर्थ के साथ पढ़ने और गणित की बुनियादी गणना करने की बच्चों की क्षमता है, यही भविष्य में सब कुछ सीखने का आधार बनती है।
  • सर्वेक्षण शिक्षार्थियों को उनके ज्ञान और कौशल के आधार पर चार समूहों में वर्गीकृत किया गया था : वे जिनमें
    • आधारभूत शिक्षा की कमी है,
    • सीमित दक्षता है,
    • पर्याप्त योग्यता है,
    • श्रेष्ठता है
  • सर्वेक्षण के परिणाम 20 भाषाओं और संख्यात्मकता में बेंचमार्क स्थापित करने में सरकार की सहायता करेंगे।

अध्ययन के निष्कर्ष:

  • मूलभूत सांख्यिकी में (गणतीय कौशल) :-
    • कक्षा III के 48% छात्रों के पास बुनियादी संख्यात्मक ज्ञान और कौशल की या तो कमी थी या सीमित थी । कम से कम 11% छात्र सबसे बुनियादी ग्रेड-स्तरीय संख्यात्मक कार्यों को पूरा करने में असमर्थ थे, और 37% केवल मूल ग्रेड-स्तरीय कार्यों को आंशिक रूप से पूरा कर सके।
    • राज्यों में सबसे खराब प्रदर्शन तमिलनाडु ने किया, जिसमें 77% छात्रों के पास या तो कम या सीमित संख्यात्मक कौशल था।
    • कुल मिलाकर, 11 राज्यों में 50% से अधिक छात्र ऐसे थे जिनके पास संख्यात्मक कौशल या तो कम था या सीमित था।
  • भाषा प्रवीणता में :-
    • हिंदी में छात्रों की मूलभूत शिक्षा खराब है, लेकिन कुछ राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं में उनका प्रदर्शन और भी खराब है।
    • 18 राज्यों में, हिंदी दक्षता के लिए सर्वेक्षण किए गए कक्षा III के लगभग 53% छात्रों के पास भाषा पढ़ने और समझने में ज्ञान और कौशल की कमी थी या उनके पास सीमित ज्ञान था।
    • महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय भाषा प्रवीणता कम थी, जिसमें 59 प्रतिशत छात्रों में या तो कौशल की कमी थी या वे सीमित प्रदर्शन कर रहे थे।

संबंधित सरकारी पहल:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:
    • यह 3-भाषा के फार्मूले की वकालत करता है जिसमें दो भाषाएँ भारत के लिए स्वदेशी हैं।
    • इसमें कहा गया है कि शिक्षा का माध्यम कम से कम पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में होना चाहिए, और अधिमानतः आठवीं कक्षा तक, जिसके बाद इसे एक भाषा के रूप में पढ़ाया जा सकता है।
    • नीति मूलभूत शिक्षा के महत्व पर भी जोर देती है।
  • National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy (NIPUN) Bharat:
    • केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2026-2027 तक कक्षा III के अंत तक सभी बच्चों को मूलभूत कौशल प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में 2021 में NIPUN भारत की शुरुआत की।

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